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गवार
“चुपकर अपनी औकात देखकर बात कर अनपढ!!”
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सेंटा दादा
“शशी दीदी हमारा सरप्राइज कहां है?” वे उसे चारों तरफ से घेर कौतूहल से उसके उत्तर की प्रतीक्षा करते अपनी निर्दोष आंखों से निहारने लगते हैं।
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मुन्नी की फुलझड़ी
” मां मेरी फुलझड़ियां ले आई। ”
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मूली के पराठे
“लो जी कर लो बात कैसे नहीं बनाएं!!”
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खुद से डाइटिंग!! ना बाबा ना
उसकी आँखों के सामने अंधेरा छाने लगा था, कुछ ही पल में चक्कर आने लगे, गरिमा खुद को सम्भाल ना सकी और धम्म से कॉलेज कैम्पस में गिर पड़ी। ” गरिमा क्या हुआ? तुम ठीक तो हो? ” उसकी दोस्त नताशा उसकी तरफ दौड़ते उसे सम्हालते पूछने लगी। ” यार कुछ समझ नहीं आया मैं…
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खूनी डोर
“अरे काट काट काट!!घत तेरे की!! हर बार हमारी पतंग कैसे कट जा रही है रे?” बिल्लू अपने बचपन के दोस्त और हर सुख-दुख के साथी जय से अपना हाथ माथे में पीटते कहता है। जिनका अपने बचपन से बड़े लड़कों की देखा-देखी कर पतंगबाजी का जूनन इस कदर चढा कि उन्हें दिन-रात सिर्फ पतंग…
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विवेक की अनदेखी
…..गिरधारी लाल और बीना एक दूसरे का हाथ थामकर अपने से कि हुई उचित समय पर उचित विवेक ना लगाने की भूल के कारणवश एक के बाद एक उनका दामन छुड़ाकर विदा होते अपने युवा बच्चों के शोक में डूबकर विलाप करते रह गए…