” लड़की तो देखने में ठीक-ठाक है! अपने माता-पिता की इकलौती संतान, वकालत की पढ़ाई भी खत्म होने वाली है। ऊपर से पिता शहर के नामी वकील! कल को अपना परिवार कभी मुसीबत में फंसा तो एक सहारा तो रहेगा। ” लड़के के मामा जी किशोरीलाल ने अपनी बहन किरण से कहा।”बात तुम्हारी सही है…
अपनी मेज पर बैठ उस लाल गुलाब को सामने रख, भीतर से पूरी तरह बिखर चुकी पूनम अपने दिल का फसाना एक कोरे कागज पर लिखती है, उसे भुलाना उसके बस में नहीं था ।कहने को तुम साथ थे!पर फिर भी थे ना साथ मेरेबस मैं ही थी!पर तुम थे ना साथ मेरेहालात बदल ना…
“कमी क्या है तुममें? उपरवाले ने दोनों हाथ पैर दिए है और इतने अच्छे पेरेंट्स, पढ़ी-लिखी भी हो, क्या इतना कुछ लाइफ खुशी-खुशी जीने के लिये काफ़ी नहीं है?” “मेरी तरफ देखो मालिनी!!” “कितनों के पास ये भी नहीं होता!! बीमार तुम नहीं!! बीमार दूसरों की सोच है!! “जो अब तक हुआ उसे एक बुरे सपने की…