बाहरी तारीफ पड़ी घर में भारी

“अब ये क्या बना दिया मम्मी?”

“पिंटू ये सपोंजी कॉटेज चीज एंड मिक्स वेजिटेबल डीप फ्राइड इन मीडियम हीट सर्वड विद व्हाइट क्रीम सॉस है “

” ए चींटी तेरे कुछ पल्ले पड़ा क्या? “

“लेट मि गेस!! उम्म,,,पिंटू मम्मी ने शायद मलाई कोफ्ता बनाया होगा”

” ये गधी समझ गई और एक तू बड़ा होशियार बनता फिरता है “

“यार मम्मी का कोई मास्टरशेफ दिखना बंद कराओ प्लीज!!”

” क्यों? इतना कुछ अच्छा अच्छा बनाकर खिला रही हूं और बोलता है कि मेरा मास्टरशेफ बंद कर दो! घर में रहना है कि नहीं”

“अरे मम्मी बस भी करो तीन दिन से आपका एक्सपेरिमेंट है कि खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा!! और आज सुबह नाश्ते में आपने वो क्या बना था,,,,,बता चींटी!!”

” पोहा का अनाप शनाप”

” अनाप शनाप!! तुम लोग को खाने का कोई सेन्स ही नहीं है वो वेजिटेबल पाउन्डेड पैडी वीथ फ्राइड नट एंड फ्रूट थे”

“मम्मी किस बात की दुश्मनी निकाल रही हो। सादा खाना जैसा पहले बनानी थी वैसे बनाने में क्या आपत्ति है?”

“अच्छा जब सादा बनाओ तो मेरी सगी औलाद मेरे खाने को बोरिंग करार देती है, अब हर दिन ऐसा ही टीवी, यूट्यूब, इंस्टा वाला खाना मिलेगा!! इतनी तकलीफ है तो

घर जैसा खाना बाहर जाके खा आओ!!”

” बाहर कैसे घर जैसा खाना मिलेगा बताओ भला? और कोई रोज कैसे इतना हेवी खाना खा सकता है? सच बोलू तो आपका ये नौटंकी वाला खाना खाके मुझे बेचैनी हो रही हैं “

“पिंटू भैया मुझे तो खट्टी डकार और मोशन भी हो रहे हैं, मगर मम्मी के अंदर जैसे किसी बावर्ची की आत्मा घुस गई हो, बच्चों के प्राण क्यु ना निकल जाये मगर ये अपनी रसोई की गैस बंद नहीं करने वाली!”

” तुम्हारे पास दो ऑप्शन है या तो पुदीन हरा लेलो या इनौ पियो पर खाना तो घर में ऐसा ही बनेगा। मैं चली मुझे अगली रेसिपी पर फोकस करना है!!”

“पिंटू भैया कुछ समझे? “

“अब क्या समझना है अगला खाना आने तक थोड़ा टहल आते हैं। पहला खाया कुछ तो नीचे खिसके!!”

” नहीं भैया बात कुछ और है “

चींटी भाप गई थी कि मम्मी को उस दिन की बात चुभ गई है जब वे सब तीन दिन पहले रेस्तरां खाना खाने गए थे।

” वाह क्या जबरदस्त खाना है क्यु है ना चींटी? “

” हाँ भैया! घर में ऐसा खाना तो कोई बना ही नहीं सकता “

“मम्मी के वही रोज के घिसे पीटे खाने से कितना अच्छा है ! मेरा बस चले तो दिन रात ऐसा ही मसालेदार खाना खाउ”

” मम्मी बस अपना मास्टर्स शेफ देखती भर है पर हमारी

प्लेट में उतारती कभी नहीं”

” बनाने आएगा तब तो,,, हाहाहा “

“मम्मी कुछ स्पेशल बना ले ये तो सपने में ही सच हो सकता है हाहाहा “

“बड़े आए हाहाहा करने वाले!! तुम लोगो ने मुझे बहुत हल्के में ले रखा है। अब देखते जाओ आगे होता है क्या”

बस उस दिन का दिन था और हमारे पिंटू और चींटी की और उनके पेट की तबसे खैर नहीं।

” ये लो “

“अब ये क्या बना लाई मम्मी!!” पिंटू ने अपना पेट पकड़ कर कहा ।

” टॉसड वेजिटेबल वीथ रेड करी सॉस एंड स्टीम राइस, चेहरा उतारने से कुछ नहीं होगा अपने भाई की चमच चींटी जी, लीजिए खाये”

” मम्मी सॉरी!! हमलोग को माफ़ कर दो प्लीज!!”

” ये सब ड्रामे अपने कॉलेज के शो में किया करो घर में नहीं “

“अरे सच्ची में पक्का वाला सॉरी। अब से कोई बाहर के खाने और घर के खाने का मुक़ाबला नहीं करेंगे।” उन्होंने अपने अपने कान पकड़े कहा।

” गुड फॉर यू बोथ, मगर ऐसे नहीं पहले बोलो की मैं रेस्तरां वालों से अच्छा खाना बनाती हूं “

” हा मम्मी तुम बहुत अच्छा बनती हो, क्यु हैं ना पिंटू भैया?”

” हाँ हा मुझे तो लगता है अगर मम्मी थोड़ी और मेहनत करे तो ऐसे कुकिंग शोज में जरूर जा सकती हैं बल्कि यू कहूँ कि अपनी माँ विनर भी बन जाये तो मुझे कोई आश्चर्य नहीं होगा!! क्यु चींटी!!”

” है ना? घर में एक तू ही अक्लमंद है!! सच में

मुझे भी ऐसा ही लगता है।अब देखो मैं तुम लोग के लिए क्या क्या बना के लाती हूं। ” फिर क्या था उभरती हुई संजीव कपूर उत्साहित हो अपना मोबाइल लिए किचन की औेर प्रस्थान कर गई।

और वे दो अपना सर पकड़े खड़े रह गए।