” लड़की तो देखने में ठीक-ठाक है! अपने माता-पिता की इकलौती संतान, वकालत की पढ़ाई भी खत्म होने वाली है। ऊपर से पिता शहर के नामी वकील! कल को अपना परिवार कभी मुसीबत में फंसा तो एक सहारा तो रहेगा। ” लड़के के मामा जी किशोरीलाल ने अपनी बहन किरण से कहा।”बात तुम्हारी सही है भैया! पर लड़की की पहले दो बार सगाई टूट चुकी हैं। आप तो जानते है कि सुदेश कितना सीधा-साधा है, वो तेजतर्रार निकली तो कैसे काटेगा अपना जीवन?” अपने बेटे के लिए इस रिश्ते को तय करने में किरण जी थोड़ी असमंजस में थी।” तो क्या हुआ? तुम्हें आजकल के लड़के-लड़कियां हमारे ज़माने जैसे कहा मिलेंगे? जहा थोड़ा सामंजस्य क्या बैठाना पड़ता है बस हाथ खड़ाकर! जय सियाराम कर चलते बनते हैं अच्छे खासे रिश्ते से!”पर भैया! अगर सुदेश खुश नहीं रहा तो! मैं अपनेआप को कभी माफ़ नहीं कर पाऊँगी!”बहन देखो! शादी ब्याह एक जुएं का अंधे खेल बराबर होता है! अच्छा साथी मिला तो मिला नहीं तो गई बाज़ी हाथ से!”किशोरीलाल जी इस रिश्ते पर अपनी बहन की मोहर लगवाना चाहते थे, क्योंकि उनका और उनके बेटों के आए दिन पुलिस और कोर्ट के चक्कर लगते ही रहते। उनसे रिश्ता जुड़ जाता तो काफी सहायता मिल जाती।” आप इतना कह ही रहे हैं तो एक बार सुदेश से चर्चा कर लेती हूँ। फिर जैसा वो कहे!”” हाँ! ये ठीक रहेगा!”सुदेश बचपन से अपनी शराफत के लिए पूरे परिवार में मिसाल था। वर्तमान में बैंगलोर में एक उच्च आईटी फर्म में पिछले तीन सालों से काम कर रहा है। देखा मिला तो वो रिया से पिछले हफ्ते था ही, जो कई आकांक्षाएं लिए हुए प्रतीत हुई जो बात उसे अच्छी लगी।”हैलो सुदेश! कैसे हो? बेटा शादी वकील जी के यहां करे के नहीं? तुम मना करो दो दूसरी जगह बात चलाए!””माँ आपको परिवार पसंद है तो कर दे, मुझे आपत्ति नहीं!”अपनी माँ और मामा जी को करीब छह माह से उसकी शादी तय कराने की जद्दोजहद करते देख और खुद भी अबतक चार लड़कियां देखने के बाद अब सुदेश खुद थक चुका था। वो चाहता था कि उसकी वजह से सब और अधिक परेशान ना हो।” उनकी तरफ से भी खबर आ चुकी है! ठीक हैं फिर! बात पक्की करवाती हूँ! !””रिया! वो लोग शादी के लिए तैयार हैं! बहुत सीधा सादा घर-परिवार है! कहने को बस एक सास ही है! इस बार फिरसे वही गलतियाँ मत दोहराना! दो सगाई पहले से ही तोड़ चुकी हो ! जल्द तीस की हो जाओगी फिर लड़के मिलना बहुत मुश्किल है!” वकील सहाब अपनी सिर चढ़ी बेटी से कहते है।”अरे पापा आप ज्यादा टेंशन ना ले! वो दो आपकी बेटी को अपने हिसाब से चलाने चले थे! आए बड़े!! पता नहीं मैं किसकी बेटी हूँ !!” रिया घमंड से कहती है।”हाँ मेरी लाड़ली को कोई तंग करेगा तो उसे मैं इतनी आसानी से कैसे छोड़ दूँगा !! ऐसे मुक़दमे पर मुक़दमे करता कि कभी किसी को मुँह दिखाने लायक नहीं बचते!!”अपनी इकलौती बेटी रिया उन्हें अपनी जान से भी प्यारी थी, माँ तो उसे उसकी पांच साल की उम्र में ही छोड़कर गुजर गई, लालन-पालन सब नौकरों के भरोसे होते रहा।रिया अच्छे खासे इंसान को कैसे कोर्ट कचहरी के चक्कर लगवाया जाता है! ये कला बचपन से देखती सीखती बड़ी हुई थी। उसमें एक मजबूत वकील बनने के सारे गुण मौजूद थे जो एक अपराधी को कटघरे में खड़ा करने में सक्षम थे।उसकी किसी ने राई भर भावना क्या आहत की? उसका दिमाग जमीन आसमान एक कर धारा पर धारा दोहराने लगता, परंतु उसकी कड़वी बातों का कोई बुरा मानने का हक लिये, इस दुनियां में एक भी व्यक्ति ने जन्म नहीं लिया था। इसी कारणवश आजतक उसका कोई दोस्त नहीं बन पाए वो अपने एकाकी स्वभाव के साथ बेपरवाह जी रही थी।उसे सुदेश शरीफ लगा, फिर भी छोटी-सी बातों को लेकर रिया का दिमाग उसपर भी गरम हो जाता और सुदेश उसे शांत करने का भरपूर प्रयास करता।देखते देखते शादी भी हो गई, माँ, सहेलियाँ तो थी नहीं जिसे कुछ देख समझकर शादी के बाद लड़कियों के जीवन में क्या बदलाव आते हैं वो जान पाती।पिता भी पूरे समय व्यस्त रहते, कोई व्यावहारिक जीवन नहीं था, सभी रिश्ते पेशेवर ! उन्हें भी किसी के प्रति झुकाव महसूस करते कभी नहीं देखा।शादी के बाद अचानक उसके जीवन में इतने सारे परिवर्तन आ गए कि उससे सम्भाले ना सम्भले जा रहे थे।कहां दो मंजिला मकान में रहने वाली रिया! अब बैंगलोर में एक कमरे के फ्लैट में सुदेश के साथ रह रही थी।खुला बगीचा था वहां और यहां! एक मात्र तुलसी का पौधा बस!खिड़की से कहीं देखो ! तो उसे पहले से ही कोई ताकता दिखता।घर का दरवाजा खोला! तो आसपास के लोग जबरदस्ती बात करने की कोशिश करते।पहले हर चीज के लिए नौकर थे! आज खुद दूध भाजी ले रही थी।खाना-पीना तो कभी बनाया ही नहीं! जब खुद का बना खाती तो उससे खाया ना जाता!!उसे अपने पिता और घर की हर पल याद खाये जाती।शादीशुदा जिंदगी के शुरुआती हफ्ते में ही उसे बोरियत होने लगी! अखिर यहां ऐसे सड़ने में क्या फायदा है? वो अन्दर ही अन्दर घुटने लगी।ऊपर से नौकरी के लिए जितने इंटरव्यू दे सब बेकार! यही सोचती की काश पापा के साथ रहती तो इन सब के सामने अपनी कुशलता बतलाने की नौबत ही ना आती।छोटी-मोटी बात पर उसका गुस्सा आसमान पर चला जाता और ऐसा एक दिन भी नहीं बीतता जब उन दोनों का झगड़ा ना हो।सुदेश को भी कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो ऐसा क्या करें जिससे वो सामन्य हो जाए? जो-जो काम उससे बनते वो उसका सहयोग करने लगा फिर भी उन सबका उसपर कोई असर ना पड़ा।और एक दिन तो सारी हद पार हो गई जब उसकी सास किरण जी बिना बताये उनके घर आ गई। पहले से ही तिलमिलाए बैठी रिया को ये बात रत्ती भर पसंद ना आई।” ये क्या! तुम्हारी माँ ऐसे कैसे बिना पूछे घर आ गई? “” इसमें पूछना क्या?वो माँ है मेरी और तुम्हारी सास! उनका जब मन करेगा मिलने आएगी! तुम्हें पैर पड़ने थे और तुम दरवाजे पर मुँह फेरते आ गई!!”” मेहमान बिन बुलाये अच्छे नहीं लगते!”” चुप रहो!! वो सुन लेंगी!!”” हाँ तो सुनने दो!! मैं किसी से नहीं डरती!!”उनकी तू तू मैं मैं पूरे एक घंटे चली और किरण जी को चिंता के साथ-साथ बहुत डर लग रहा था। उनके जीवन में उन्हें जो बात सबसे ज्यादा खायी जाती थी ,उनके बेटे के साथ वही घटित हो रहा था।उन्हें ना पीने का पानी मिला और तो और दोपहर का खाना उन्होंने ही सभी के लिए बनाया।” बहू तुम कुछ दिन अपने मायके होकर आ जाओ!!” उदास मन से किरण जी ने निकिता से कहा।”मैं भी यही सोच रही हूँ!” उसने बिना उनकी ओर देखकर जवाब दिया।वो अपने भीतर कुछ तय कर चुकी थी। कभी सुदेश को अपने पास फटकने नहीं देने वाली रिया सुदेश को चंद देर गले लगाकर अपने पिता के यहां पहुँच गई।”रिया यह सब करने से पहले सोच लो!! शादी को अभी दो महीने भी नहीं हुए और तुम!!” रिया के पिता उसकी बात सुनकर भौचक्के रह गए कैसे वो इतनी हठी बन गई?”जी हाँ आपने सही सुना! शादी के दो महीनों में रिया ने तलाक के पेपर भिजवा दिए! तलाक हो गया तो दुनिया भर में बहुत बदनामी हो जाएगी!”किरण जी अपने भाई किशोरीलाल को दोबारा से कहती हैं जिनको उनकी बातों का यकीन नहीं हो पाया।”पर क्यों? सुदेश की तरफ से कोई गलती तो मैं सपने में भी नहीं मान सकता!!””आपको क्या बताऊं भाई!! इतनी ओछी ओछी बातें लिखी की कहने में तक शर्म आ रही है!! मेरा बेटा तो यह सब सुन सदमे में आ गया है!!””आप रुको मैं वकील सहाब से बात करता हूँ!!”” तुम जो भी कहो! पर मेरा बेटा उसके साथ रह ना पाएगा!”” पर ऐसे कैसे उनलोग हम पर इल्ज़ाम लगा सकते है!! क्या हमारी कोई इज्जत नहीं? दीदी ये सब बातें बाहर आ गई तो बहुत बदनामी होगी! तुम धैर्य रखो सब ठीक हो जाएगा!”किशोरलाल जी ने अपनी बहन की हिम्मत बांधी, कहा वो सोच रहे थे कि उस परिवार से सहयोग मिल पाएगा! इन्होंने तो उनपर ही इतना संगीन केस ठोक दिया!अपना सर पकड़कर बिलखती किरण जी! बार-बार उपरवाले से एक ही बात पूछती रही!! ऐसा मेरे बेटे ने क्या गुनाह किया था जो उसे आज इतनी बड़ी सजा दे रहे हों। उसकी हालत देखो!! कैसा गुमसुम सा हो गया है!! कुछ तो दया करो!!उधर सुदेश जिसने एक तीली भी नहीं पकड़ी और पूरा जंगल खाक करने का इल्ज़ाम उसपर मढ दिया गया हो। वो अब क्या करे उसे समझ ना आया! हाँ पर एक बात उसे स्पष्ट समझ आई कि इस दुनिया में शरीफ आदमी को ही निशाना बनाना सबसे ज्यादा आसान है।कोर्ट पर इतने प्रत्यारोपण सबके सम्मुख सहना पड़ेंगे! वो किस-किस को अपनी बेगुनाही का सबूत देता फिरता!! उसे यकीन था कि वे उसे दोषी भी साबित कर देंगे! अखिर उनके परिवार का पेशा ही यही था!” वकील सहाब ये हमारे साथ आपलोगों ने ठीक नहीं किया! बेटी को इतनी ही तकलीफ थी तो कहती! हम सब सुधारते!! सीधा तलाक!! ऐसे इतनी जल्दी शादी तोड़ने से पहले कुछ तो समझाये उसे?” किशोरीलाल जी ने शांत दिमाग से कहा।”देखिए बेटी वापिस नहीं जाना चाहती!! आप समझदार लोग है, इसलिए कोर्ट के बाहर सुलह कर ले तो उचित होगा!” बेटी का जिद्दी सुभाव और अपने जीवन में शून्य प्रतिशत भी समझौता करना उसकी फितरत में कदापि ना था। पिता के लाख समझाने के बाद भी वो नहीं मानी।तन और मन से तो दो दूर कब के थे जल्द ही सुदेश और रिया काग़जों में भी अलग हो गये।इन सब के बाद किरण जी सुदेश के साथ ही रहने लगी ताकि वो अवसाद में ना आजाये। उसके ऑफिस जाने के बाद अपने करीबी रिश्तेदारों और पहचान वालों से बात करती, कैसे सब इतने जल्दी खत्म हो गया ।जिन्हें शादी टूटने की खबर मिलती वे तपाक से उन्हें पूरी कहानी सुनने फोन लगाते। जिन्हें ये मसालेदार खबर मिली नहीं कि वे अन्य दस को बताते और वे दस और दस को! धीरे-धीरे रिया के कारनामे पूरे शहर में आग की तरह फैल गए।वहीं रिया को इन सब से रत्ती भर फर्क़ ना पड़ा वो अब अपने पिता के साथ उनके पेशे में जी जान लगाकर भागीदारी करने लगी।एक पत्थर दिल में फूल खिलाने की उम्मीद कर उसे प्रेम भाव से सींचना! सरासर सामने वाले के ज़ज्बात के साथ खिलवाड़ है। उसे खुद महसूस होता कि वो किसी भी बंधन में बंधने नहीं बनी ।पर पिता का क्या! वकील सहाब को उम्मीद थी कि बेटी की शादी फिर से कही तय हो जाये! पर शहर में जैसे अब लड़को का आकाल पड़ गया हो!मानो उनके घर के प्रवेश द्वार से ही रिश्तो ने अपना मार्ग बदल लिया हो!जिन्हें खुद होकर रिश्ता भेज मिन्नतें करते वो शुरू में जरूर उत्साहित दिखते, फिर चंद दिनों बाद बेमतलब के बहाने बना इंकार कर देते।वकील सहाब को अंदेशा लगाते देर ना लगी कि हो ना हो शायद उनकी बेटी की हरकतें सबके कानों में पढ़ गई होंगी!धीरे-धीरे उन्हें स्पष्ट समझ आने लगा कि इस जैसी लड़की से शादी कौन और क्यों करने लगा? उन्होंने अपनी इकलौती बेटी का फिरसे घर बसाने का सपना टूटकर चूर होते दिखा।भले कितने बड़े नामी वकील वे क्यों ना हो पर औरों के लिए! रिश्ता तय करने अब उनका घर केवल एक बदनाम घर से ज्यादा कुछ ना था, यही वास्तविकता थी ।हाई ब्लड प्रेशर, शुगर उन्हें कई सालों से तकलीफ दे रहे थे! बेटी की चिंता करते-करते कुछ वर्षो बाद उन्हें हार्ट अटैक आया और,,,रिया के सिर से उसके पिता का साया भी उठ गया। उसे इस वक़्त सम्भालने वाला भी कोई ना था। जैसे तैसे अपनेआप को अपने पिता की गद्दी में बैठने मजबूत कर पाई और वो देखते-देखते अपने पिता का नाम रोशन करने लगी।पर ऐसी कामयाबी भी कितने दिन खुशी देती जो किसी के साथ साझा ही ना की जा सके। आए दिन वो अपने अनियन्त्रित मन को अकेलेपन के काले बादलों से घिरा हुआ पाती, तब यही सोचती कि अगर रिश्तों में थोड़ा सा झुकाव कर लेती तो आज चैन की नींद सो पाती।ऐसा जीना भी क्या जीना? अपनी ऐसी जिंदगी से थक कर रिया सुदेश के पास माफ़ी मांग वापिस जाना चाह रही थी, इन बीते वर्षो में उसे महसूस हुआ कि वो सच में उसकी कितनी परवाह करता था।सुदेश का नंबर बदल चुका था, रिया ने सोशल मीडिया खंगाला और वो उसे मिला भी!!उसने सुदेश को कुछ देर देखकर अपना मोबाइल बंदकर दिया।रिया की आँखें उसकी मुस्कराती तस्वीरें अपनी पत्नी, एक फूल सी प्यारी बेटी और अपनी माँ के साथ ख़ुशहाल देख केवल अफ़सोस से झुक गई!
आपकी
रुचि पंत