प्रेम परिक्षा

“हेलो….मम्मी! मैं रीत, इससे पहले आप कुछ पूछे मैं ही आपको बता देती हूं, मैं जहा कहीं भी हूं, जिसके साथ हूं बिल्कुल ठीक हूं, आप चिंता मत करिए “”रीत अखिर तुम कहां हो???? तुम्हें ढूंढ ढूंढकर हम सबकी जान निकली जा रही है और उल्टा हमें कहती हो कि मेरी चिंता मत करो!!”i” मम्मी मैं आपको नहीं बता सकती की मैं अभी कहा हूं!”” ये क्या अनाप-शनाप बातें कर रही हो ? सीधे से बताओ तुम किस जगह हो और किसके साथ हो?” प्रमिला जी ने तेज आवाज और गुस्से से कहा।”मम्मी प्लीज मेरी बात एक दफा सुन लीजिए! ऐसा नहीं है कि मैंने कोशिश नहीं की मगर मेरी बात समझिये हम एक दूसरे के बगैर नहीं जी सकते।”” जिसका डर था तूने वही किया!अरे कुछ तो सोचती पागल!! ना तो वो हमारी बिरादरी का है और ना ही हमारी हैसियत के बराबर, तूने आसान काम तो कर लिया मगर जब ऐसे घर में निभाने पर आएगी तब पता चलेगा। मैं कहती हूं अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा, चुपचाप वापिस आ जा”” मम्मी प्यार जात पात, पैसा कौड़ी देखकर नहीं होता, अब इतना बड़ा कदम उठा लिया है तो निभा भी लूंगी””उस लड़के ने तेरी मति भ्रष्ट कर दी है, तु तुरंत घर वापस आ जा हम इत्मीनान से बैठकर बात कर लेंगे””जैसे कि मुझे पता नहीं कि मैं वापस आई तो मेरी शादी कहीं और करा दी जाएगी! काश मुझे पैदा करने वाली मेरी मां तो मेरी हालत समझ पाती!”” माँ हूं तेरी इसलिए तेरा अच्छा बुरा तुझसे ज्यादा जानती हूं ! तू उस लड़के की अभी तक चालाकी नहीं समझ पाई? वो बस हमारी जायदाद देखकर तुझे फंसा रहा है””ऐसा कुछ भी नहीं है!!आप लोगों ने जीत को हमेशा गलत समझा है !! मुझे पता है आप लोग उसे कभी नहीं अपनाने वाले और ना ही मेरे पास कोई दूसरा रास्ता है इसलिए मैं सब कुछ छोड़-छाड़कर उसके साथ जा रही हूं, हो सके तो मुझे माफ कर देना, आप सबको दुखी करने का मेरा कोई इरादा नहीं था मगर मैं मजबूर हूं! बाय मम्मी”सिसकते हुए रीत ने अपना फोन काट दिया और अपने माता-पिता को ना चाह कर मजबूरन इतने कष्ट देने, उनसे कम दुखी ना होकर अपने प्रेमी जीत को गले लगाकर कहने लगी,”तुमसे दूर रह,खुद को कहीं खोकर,सबको खुश कर रही थी।अब जब अपनी खुशिया पाना चाहती हूंतो अपनो को खोती जा रही हूँ “।जीत दूसरी तरफ उसके फोन से सिम कार्ड निकाल उसके दो टुकड़े कर ट्रेन से बाहर फेंक देता है, बिल्कुल उसी तरह जैसे रीत ने अपने मां बाप के दिलों के साथ कुछ पल पहले किया था और रीत से वो कहने लगा,” हम एक साथ पूरी दुनिया को कभी खुश नहीं रख सकते, कभी-कभी हमें अपनी जिंदगी में कुछ ऐसे फैसले लेने पड़ते हैं जो हमारे अपनों को सबसे ज्यादा दर्द दे जाते हैं”।” तुम्हें ऐसे अचानक क्या हुआ? किसका फोन था?” रीतके पिता पुलकित अपनी हैरान पत्नी से पूछते है।रीत की ऐसी करतूत सुनकर प्रमिला जी सदमे में आ चुकी थी ।”कुछ तो कहो अखिर हुआ क्या है?प्रमिला मैं तुमसे कुछ पूछ रहा हूँ ,कुछ तो जवाब दो!! अपना फोन दिखाओ, क्या रीत ने तुमसे बात की थी? कहां है वो? उसने ऐसा क्या कह दिया बताओगी??”उनकी लाड़ली क्या कर बैठी है उन्हें बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था, परिस्थिति को भांपने में असफल पुलकित, प्रमिला से बार-बार पूछते रहे।” हमारी इज्जत को दरकिनार कर, हम पर क्या बीतेगी यह बिना सोचे वो भाग गई,,,दुनिया वालों के सामने अपने मां-बाप को जलील होने बेशर्म!! वो भाग गई ,,,,हमारी छोड़ो अपने एयर होस्टेस बनने के सपनों को ठोकर मारकर उस तुच्छ लड़के के लिए हमारी 22 सालों की परवरिश और प्यार को ठोकर मार कर भाग गई,,,प्रमिला जी अपने हर कहे वाक्य से, क्रोध,दुख और बेबसी से भरती जा रही थी, उनका शरीर पत्थर बनता जा रहा था और आँसु निरंतर बह रहे थे।वही दूसरी ओर पुलकित अपनी जान से प्यारी इकलौती बेटी को एक फटीचर के साथ भाग जाने की खबर सुनकर हतप्रभ रह गए, उनका दिमाग कुछ क्षण के लिए चलना बंद हो गया। वे यही सोचते रहे कि इतने महीनों समझाने के बाद भी उनका प्यार उस लड़के के सामने क्या इतना कम था!! कि हम सब के ऊपर उसने उसे चुना।यह कड़वा सच है जब प्रेमी जोड़ें अपने घरवालों की इच्छा के विरुद्ध अपनी पसंद से शादी कर लेते हैं तो उन्हें अपने जीवन के हर छोटे-बड़े चरणों में हमेशा बहुत संघर्ष और विरोध का सामना करना पड़ता है।उनके ऐसे कदम उठाने से वे समाज को फूटी आंख नहीं सुहाते और वे सब उनको अलग करने अपनी एड़ी चोटी एक करते रहते हैं।”उस लड़के की इतनी मजाल!! दुनिया के किसी भी कोने में क्यों ना छुपे हुए हो!! इनकी मैंने अकल ठिकाने ना लगा दी तो मेरा नाम नहीं!!”सिर से पैर तक आग बबूला हो रहे पुलकित प्रण लेते हैं, वे रीत और जीत को अपने शिकंजे में जकड़कर उन्हें अलग करने की रणनीति बनाने लगे ।”अभिजीत ध्यान से सुनो! रीत और जीत के नंबर ट्रैक कराओ, वह उस लालची की चिकनी चुपड़ी बातों में आकर उसके साथ भाग गयी है। तुरंत किसी को जीत के घर भेजो और अपना एक आदमी चौबीस घंटे रेकी करने लगा दो? उस जीत के घर क्या चल रहा है मुझे पल पल की खबर चाहिए ।मुझे मेरी बेटी किसी भी हाल में वापस चाहिए, एक भी गलती बर्दाश्त नहीं करुंगा समझे तुम!!”अपने शहर में खुद की अलग पहुंच रखने वाले उसके पिता, बिना समय बर्बाद किए अपने सभी संपर्को का उपयोग कर, उन्हें जल्द से जल्द घेरने की तैयारी में लग गए। वे अपनी लाखों की जायदाद की इकलौती वारिस को किसी भी हालत में उस लफंगे के चंगुल से निकाल कर ही दम लेंगे।इस घटना के कुछ दिनों के बाद, कहीं मेरे घर में …” ए चुटकी जल्दी यहां आ और ये खबर पढ़!! तेरे पक्का होश उड़ने वालें हैं !!”।मैं दौड़ी दौड़ी हमारे घर के दीवान की ओर बढ़ने लगी जहां खुद को दुनिया की सबसे स्मार्ट समझने वाली पैर पर पैर धरी मेरी बड़ी बहन विराजमान थी,”ये पढ़!!”अपनी शातिर मुस्कुराहट लिए उसने अखबार मेरी तरफ फेंकते हुए पूछा,”ये तेरी क्लास में थी ना?””हे भगवान! ये कैसे हो गया!”मैंने अपने आपको संभाला, न्यूज़पेपर को फिर से मजबूती से पकड़ कर वह खबर फिर से पढ़ी जिसमें रीत और जीत के नाम और तस्वीर साफ-साफ छपी थी।”शुभ विवाह”, जन सूचना, कि दिनांक एक अगस्त को जीत और रीत आर्य समाज में शादी के बंधन में बंध गये हैं। आपके मंगलमय जीवन की कामना करते आपके शुभचिंतक – कैलाश, सुभाष और रमेश।मैंने एक गहरी साँस ली और सोफे में बैठ सोचने लगी जैसे मैं हमेशा करती हूं ।” देख के तो लगता है कि घर वाले उनके रिश्ते को स्वीकार नहीं कर रहे होंगे तभी ऐसा कदम उठाया होगा, मैं तो ऐसा कुछ करने की कभी कल्पना भी नहीं कर सकती!!अगर कभी किसी से इतना प्यार हो गया और घर वालों को बताती तो उनका एक चाटा ही उसे मेरे दिए सात जन्मों के वादों को पल भर में भुलाने पर्याप्त होता।रीत ने उससे शादी करने का फैसला क्यों लिया?एक तो इंटर कास्ट, संपन्नता में जमीन आसमान का फर्क और तो और अपने मम्मी पापा को इतना दुखी करके क्या मिला होगा? जीवनभर समझौता करना पड़ेगा सो अलग!!!”मम्मी चुटकी की क्लासमेट ने शादी कर ली !! अब उसके लिए भी जल्द एक लड़का खोजो!” बहन मुझे ताना मार हंसने लगी।” पहले तेरे से तो जान छूटे,एक पल भी चैन की सांस लेने नहीं देती! आई बड़ी मेरी शादी कराने! चल भाग यहां से!”मैं अपने रोजमर्रा के कामों में व्यस्त हो गई मगर मेरे मन का एक हिस्सा अभी भी उनकी शादी की खबर सुनकर उलझा सा था। मैं उन पुरानी यादों में खो गई जब मैंने इन लव बर्ड्स को पहली बार देखा था……यह बात शुरू हुई थी जब हम 11th स्टैंडर्ड में थे, मैं अपने राजू रिक्शा वाले की हाई स्पीड के कारण स्कूल जल्दी पहुंच जाया करती थी।मुश्किल से कभी कोई इतनी जल्दी स्कूल पहुंचता, इसलिए हमारी क्लास का दरवाजा हमेशा अड़ा हुआ रहता था।एक दिन जब मैं अपना बैग रखने क्लास का दरवाजा खोल कर अपनी सीट पर बढ़ने लगी, तो मैंने लास्ट बेंच में दो लोगों को डेक्स पर हेड डाउन किए हुए एक दूसरे की आंखों में डूबे हुए देखा।एक सेकेंड के लिए कि आखिर किस ने दरवाजा खोला है उन दोनों ने एक पल के लिए अपना सिर उठाकर मुझे देखा, और वे वापस अपनी मुद्रा में विलीन हो गए।उनकी बेफिक्री वो भी उस उम्र में होना मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी।उनके स्वतंत्र प्यार को दूसरों की सोच समझ की मोहर की आवश्यकता नहीं थी, मैंने उन जैसे कपल आज तक नहीं देखे, मगर वे शादी के बंधन में इस तरह से बंधेगे ये मैंने कल्पना नहीं की थी।”रीत, हम इस तरह लंबे समय तक छुपकर नहीं रह सकते!””जीत अगर हम वापस गए तो वे लोग हमें फिर से अलग कर देंगे!””तुम डरो मत, हमें अब कोई अलग नहीं कर सकता! मेरे मम्मी पापा हमे खुशी-खुशी अपनाने तैयार है।”” तुम्हारा घर में स्वागत है बहू!! तुम अभी भी बच्ची हो इसलिए उसी तरह रहो, घर के काम जैसे पहले चले आ रहे थे वैसे ही चलते रहेंगे, जब समय आएगा तब सब मैं तुम्हें सिखा दूंगी!” आरती की थाली लिए जीत की मां उसका गृह प्रवेश कराती है।” वे आए थे तुम दोनों की पूछताछ करने,कभी धमकाने और एक आदमी हमारे घर के सामने चौबीसों घंटे खड़ा रहता था।” घबराए हुए जीत के पिताजी ने जीत और उनके दोस्तों से कहा।”अंकल आप परेशान मत होइए इन दोनों के मैरिज सर्टिफिकेट हमने आसपास के सभी पुलिस स्टेशनों में जमा करा दिए है, वे चाह कर भी अब इनका कुछ बिगाड़ नहीं सकते!” एक दोस्त ने कहा।” छोटा सही अब ये तुम्हारा नया घर है बहू, तुम्हें चीजों की यहां कमी जरूर महसूस हो सकती है, पर प्यार की नहीं, जानता हूँ कि तुम्हारे माता-पिता अभी नाराज हैं लेकिन सब्र रखो, वे तुम्हें एक दिन जरूर माफ कर देंगे।” जीत के पिता रीत के सर पर हाथ रख कर कहने लगे।”हेलो मोहिनी क्या तुमने रीत की शादी की खबर पढ़ी?” मैंने अपनी सहेली से पूछा जो की रीत की बहुत क्लोज फ्रेंड थी।” हां यार पता है अंकल का हफ्ते भर पहले फोन आया था, मुझे एक बात समझ नहीं आ रही कॉलेज के दिनों में उनका अफेयर पूरी तरह से खत्म हो चुका था, अचानक कैसे यह सब हो गया, मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा।”” तुझे उसने कुछ नहीं बताया?”” कुछ भी नहीं! बेवकूफ है एक नंबर की!! ऐसे इंसान के साथ भागी है जिसका लाइफ में कोई मोटो ही नहीं है!! जरूरतों का पेट, प्यार से नहीं भरा जा सकता! मैं भी देखती हूं इतने ऐशो आराम के बगैर कितने दिन रहती है वहां!देखना जितनी स्पीड से गई है, उससे डबलस्पीक से घर वापस आ जाएगी”मोहिनी ने मुझे कई उलझे हुए सवालों के बीच खड़ा कर दिया जिनके जवाब सच में मेरे पास नहीं थे।इन सब को हुए अब 4 महीने बीत चुके हैं….पुलकित जी ने बहुत हथकंडे अपनाए मगर वे कुछ नहीं कर पाए, धीरे धीरे उनका गुस्सा शांत तो हुआ पर वे उस की पसंद की शादी से अभी भी नाखुश थे, वे चाहते थे की उनकी बेटी, जीत को छोड़कर वापस उनके पास आ जाए ।”फिर से सोच लो रीत, वापस आ जाओ, हम तुम्हें अपना लेंगे और अपनी जिंदगी वही से शुरू करना जहां इसे छोड़ कर गई थी। मेरी बेटी, अपनी कीमत समझो, तुम बहुत बेहतर के लायक हो। मैं तुम्हें ऐसे संघर्ष करते नहीं देख सकता।””नहीं पापा, मैं अपने निर्णय के साथ खड़ा रहूंगी, यह आपसे मेरी रिक्वेस्ट है की प्लीज मुझे बार-बार एक ही बात मत बोला करिए। ” रीत कई महीनों से उनके वही प्रश्नों के वही उत्तर देती आ रही थी।” मम्मी कैसी है?”” तुम तो जानती हो तुम्हारे लिए वो कितनी संवेदनशील है, तुम्हारे ऐसे चले जाने से वह बहुत आहत रहती है, डॉक्टर ने डिप्रेशन की गोली चालू की है, बिना नींद की दवाई खाए उन्हें नींद नहीं आती “” उन्हें इतना कुछ मेरी वजह से हो गया!! ई एम सॉरी मम्मी!! सच कहूँ तो मन तो मेरा भी एक पल को नहीं लगता उनके बिना, पापा क्या मैं उनसे मिलने आ सकती हूं, उन्हें बस एक बार देख कर चली जाऊँगी?”फिर क्या था!!कई घंटों के शोक,डांट-डपट,झगड़े,मनुहार के बाद आखिरकार,,,अंत में इतने महीनों से सन्नाटे से घिरा उनका घर आज फिर से चहचहाहट से गूंज उठता, वे सब फिरसे एकजुट हो गए।दिन महीनों में महीने सालों में बीतते चले गए। कुछ पुराने स्कूल फ्रेंड्स के साथ मेरा मिलना-जुलना हुआ ।”अरे किसी के पास रीत की कोई खबर है क्या?””क्या खबर रे!! अपने से पूरे ऑपोजिट घर और परिवेश के साथ तालमेल बिठाने की अभी तक कोशिश कर रही है” ।”और अब तु जीत से मिलोगी तो यकीन नहीं करोगी! न कोई पुराने लफंगे दोस्त न कोई पार्टी! वह अपनी लाइफ को लेकर बहुत सीरियस हो गया है।””हाँ, मैंने भी उसे कई बार कड़ी मेहनत करते देखा है, प्यार में बहुत ताकत होती है रे, नहीं तो रीत कबका उसको छोड़ कर चली जा चुकी होती।””सच्चा प्यार आपको एक बेहतर इंसान बनाता है, उनका प्यार इसे साबित करता है।””लेकिन मुझे अभी भी डाउट है, जीत कब तक भागेगा? और रीत कब तक एडजस्टमेंट करेगी?”आखिर हुआ यही……” मम्मी मैं अपनी शादी को लेकर उलझन में हूं! ” ये कहकर कई बरसों बाद वो अपनी माँ के सामने बिलख पड़ी ।यकीनन कुछ साल पहले रीत के जीवन में प्यार हावी हो चुका था, उसे सिर्फ जीत को पाने की चाहत थी और उसके साथ आने वाली कठिन अपरिचित हालातों का अंदाजा थोड़ा बहुत तो था पर उन मुश्किलों का अंत तो दूर वे दिन-ब-दिन और बढ़ती जाएंगी इसकी उम्मीद नहीं थी, सच माने तो वो अपना सब्र खोती जा रही थी। उसे जिंदगी में जो कुछ मिला उसमें वो खुशियां ढूंढ नहीं पा रही थी।”अपनी प्रॉब्लम्स का सॉल्यूशन निकालने इतना समय वेस्ट मत करो, जितनी देर करोगी सारी चीजें और कॉम्प्लिकेटेड होती जाएंगी। तुम कुछ दिनों के लिए अपनी मौसी के घर पर रहो। तुम जो भी डिसीजन लोगी हम तुम्हारे साथ हैं।” प्रमिला उसे एक सुलझा हुआ सुझाव देती है।”जीत मुझे सोचने का समय चाहिए मैं वापस जाना चाहती हूं”रीत उससे प्यार तो बेतहाशा करती है इसमें कोई संदेह नहीं लेकिन वह अपने दिल की ही कब तक सुन सकती थी?” मैं समझ गया रीत! मगर मुझे एक बात बताओ क्या ये संघर्ष तुम्हारे अकेले का है मेरा नहीं? तुम इतने सालों से देख तो रही हो कि मैं हमारे बेहतर कल के लिए दिन-रात जूझ रहा हूँ!””मुझे पता है लेकिन ..”रीत का दिल मानता है कि दोनों एक सी स्थिति में खड़े हैं लेकिन फिर भी वह उस पल केवल अपने बारे में सोचना चाहती थी।”मुझे पता है, लेकिन यह काफी नहीं है। हैं ना..यही कहना चाहती थी न तुम?….रीत मैं तुम्हें इस तरह प्यार करता हूँ जैसे कि कोई तुम्हें मुझसे 24 घंटे दूर करने खींच रहा हो….मैं तुम्हें रोकने वाला कौन होता हूँ ?…….सिर्फ इसलिए कि मैंने तुम्हें जाने दिया, इसका ये बिल्कुल मतलब नहीं की मैं ऐसा चाहता था।अपने आंसू पूछते हुए जीत आगे कहने लगा……तुम मुझे इस बीच फोन मत करना, अगर तुम मेरी आवाज़ सुने बगैर रह सकती हो तो अपनी जिंदगी भी मेरे बिना काट सकती हो।”जीत को इस बात का थोड़ा बहुत एहसास पहले से होता था कि ये दिन देर सवेर आएगा जरूर । उसने सोचा था कि उसके सच्चे प्यार में वो ताकत है जिसे पैसा गुमराह नहीं कर सकता, लेकिन वो आज अपनी नजरो में खुद गलत साबित हो गया।उन छह सालों के बीच, मेरी जिंदगी में दो अच्छी बातें हुई एक तो मेरी जॉब लग गई और दूसरी मेरी खडूस बहन की शादी हो गई, सच मानिये हमने बड़ी राहत की सांस ली। इतने समय रीत की भी कोई खबर सुनने नहीं मिली।रोज की तरह अपनी नियमित आदत के अनुसार मैं न्यूज़पेपर के पन्ने पलट रही थी और सभी खबरों के बीच मेरी आंखें फिर से एक विचलित कर देने वाली खबर पढ़कर थम गई, क्योंकि इस बार भी वह रीत से जुड़ी हुई थी।रीत के पापा अब इस दुनिया में नहीं रहे, देखा जाए तो रीत मेरी एक क्लासमेट ही थी, हमारी कोई खास बातचीत भी नहीं थी।स्कूल के बाद मैंने उसे कभी देखा नहीं था, मैं उसे याद हूं कि भी नहीं उसकी भी कोई गारंटी नहीं थी, फिर भी मेरा दिल उस तक पहुंच कर उसकी हिम्मत बांधने हो रहा था ।अपनी कुछ सहेलियों के साथ हम उस छपे हुए पते पर पहुंच गए।मैंने इतने साल उसकी कल्पना केवल उन अफवाहों और सुनी हुई बातों से ही चित्रित की थी, अपनी असल जिंदगी में वो कैसी है, क्या कर रही है मुझे इस बात का कोई अंदाजा नहीं था।जीत उसकी जिंदगी में अभी भी है यहां नहीं, यह बात हम में से कोई नहीं जानता था। और अगर दोनों अलग भी हो गए होंगे तो हमें कोई सरप्राइस नहीं होने वाला था।हम घर के अंदर प्रवेश करने लगे, मेरी नज़रें उसे ढूंढ रही थीं।और ये क्या!!!रीत दरवाजे का पर्दा सरकाती, बिल्कुल हुबहू अपनी कॉपी लिए अपनी प्यारी सी बेटी का हाथ थामे बाहर आई और अपने पापा जीत के जैसे बेफिक्री से सोते, अपने बेटे को कंबल ओढ़ा कर, अपनी मम्मी के पास जा बैठी जहां जीत अपनी दुखी सास के साथ साय की तरह मौजूद खड़ा था ।उसकी नजर हम तक पहुंची, वो दुखी थी लेकिन इतने सालों बाद बिना किसी उम्मीद के, हम सबकी मौजूदगी उसे सहानुभूति दे रही थी।”अब हमें निकलना चाहिए, तुम अपना ख्याल रखना!”मैंने रीत से कहा।”तुम सब आए मुझे अच्छा लगा,चलो मैं तुम्हें बाहर छोड़ने आती हूं””और कैसी चल रही है लाइफ?” मैंने उससे बाहर निकलते निकलते पूछा।”सब अच्छा चल रहा है यार! जीत अपने नए बिजनेस में बिजी है, और मैं हमारे नए घर को सजाने में जुटी हूं, गृह प्रवेश में तुम सबको आना है।”रीत के चेहरे पर अपनी जिंदगी में लिए हर फैसले को सही साबित करने और हर उस नजर को गलत ठहराने की खुशी देखने लायक थी जो उन्हें तोड़ने के लिए बेसब्र हुआ करते थे ।आज मुझे उसे देखकर बहुत खुशी हुई । मानो एक तरह की उलझन से छुटकारा मिला, उसके लिए कितना आसान था कि वह सब कुछ छोड़ छाड़ कर वापस अपने घर लौट आती, मगर उन दोनों ने एक दूसरे का हाथ थाम कर हर चुनौतियों का सामना डटकर किया और आज परिणाम सबके सामने है। ऊपर वाला उनकी जोड़ी हमेशा ऐसे ही सही सलामत बनाए रखें,,,,कितनी बार वे लड़े होंगे,कभी खुद से, कभी हालातों से,कितनी बार यह विचार मन में आया होगाकि अब बस! अब ना हो पाएगामगर वे फिर एक साथ खड़े हो उठते हैं,उनका वो अटूट प्रेम, उन्हें कभी थमने नहीं देता..औरों की बातों में उलझे होंगे,कई बार मन विपरीत भी हुए होंगेपरिस्थितियों से हारकर अनेकों बार गिरे होंगे,उन्हीं परिस्तिथियों को फिर हराकर,वे और मजबूती से वापिस खड़े हो उठे होंगेक्योंकि उनका वो अटूट प्रेम, उन्हें कभी थमने नहीं देता..सच में प्यार करना आसान है, हासिल करना भी,अगर कुछ कठिन है तो हर उलझी हुई परिस्थितियों से निकलकर उसे अंत तक निभाना,इतना सब कुछ करना मेरे बस का नहीं, मैं तो यही कहूंगी कि- “ये इश्क नहीं आसान, ना हो तो मुनासिब”

रुचि पंत